Friday, December 25, 2015
Thursday, December 3, 2015
बंदर- अदरक!
कुंआरे बता रहे,
पत्नियों की खूबियां,
बंदर-अदरक के किस्से,
कौन नहीं जानता!
लाख समझाएं कि ये,
सही कह रहे होंगे,
कोशिशों के बाद भी,
दिल नहीं मानता!
लाख सच कह रहे होंगे ये बेतजुर्बा लोग,
मेला (पतियों का) लगने पर एक वोट नहीं पाएंगे!
और, वक्त के तकाजे पर चढ़ेंगे ये खुद जब,
मोदी के कलेजे मनमोहन बन जाएंगे!!
- धीतेन्द्र कुमार शर्मा
(सोश्यल मीडिया पर पत्नियों के बारे में युवा पीढ़ी द्वारा बताए और फैलाए जा रहे अनुभवहीन नुस्खों के बीच २३ सितम्बर २०१५ को शब्दबद्ध ।)
Subscribe to:
Posts (Atom)
खुल्ला बोल: ब्राह्मण की पहचान फरसा या वेद!
संदर्भ- सामाजिक आयोजनों का संदेश क्या? -धीतेन्द्र कुमार शर्मा- इस आलेख पर आगे बढऩे से पहले मैं विप्र समुदाय से क्षमा प्रार्थना करते हुए (क्...
-
-धीतेन्द्र कुमार शर्मा पिछले आठ दिन से जो कुछ #जेकेलोनअस्पतालकोटा के नाम पर हो रहा उसमें मुझे लोकतंत्र के स्थापित और स्वयंभू स्तंभों ...
-
-धीतेन्द्र कुमार शर्मा वर्ष 1974 से राजकीय शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे मेरे पिताजी 1993 में जब राजस्थान लोक सेवा आयोग से अपने पांच...
-
संदर्भ- सामाजिक आयोजनों का संदेश क्या? -धीतेन्द्र कुमार शर्मा- इस आलेख पर आगे बढऩे से पहले मैं विप्र समुदाय से क्षमा प्रार्थना करते हुए (क्...