Friday, December 25, 2015
Thursday, December 3, 2015
बंदर- अदरक!
कुंआरे बता रहे,
पत्नियों की खूबियां,
बंदर-अदरक के किस्से,
कौन नहीं जानता!
लाख समझाएं कि ये,
सही कह रहे होंगे,
कोशिशों के बाद भी,
दिल नहीं मानता!
लाख सच कह रहे होंगे ये बेतजुर्बा लोग,
मेला (पतियों का) लगने पर एक वोट नहीं पाएंगे!
और, वक्त के तकाजे पर चढ़ेंगे ये खुद जब,
मोदी के कलेजे मनमोहन बन जाएंगे!!
- धीतेन्द्र कुमार शर्मा
(सोश्यल मीडिया पर पत्नियों के बारे में युवा पीढ़ी द्वारा बताए और फैलाए जा रहे अनुभवहीन नुस्खों के बीच २३ सितम्बर २०१५ को शब्दबद्ध ।)
Saturday, November 28, 2015
बहुत सिपाही भारत मां के
बहुत सिपाही वस्त्र सुसज्जित इस हमाम में हैं प्यारों,
नैतिकता का शीर्ष तिलक ईमान हलक में है यारों,
चंद जयचंदों की गद्दारी से भारत मां ना बंधक होगी,
चंद गंदगी के नालों से मां गंगा मैली ना होगी।
लगाके डुबकी देखो,
तुमको बहुत नगीने मिल जाएंगे,
घर फूंक मुस्कान बिखरे
ऐसे दीवाने मिल जाएंगे,
ये दीवाने इसी धरा पर ज़मींदोज़ या जिंदा हैं,
फ़ख्र हमें है उन पर,
कतई नहीं शर्मिन्दा हैं,
इन्हीं सितारों के कंधों पर लोकतंत्र ये जिंदा है,
जयचंदाें की गद्दारी पर तो हम भी यूं शर्मिन्दा हैं,
कुछ मेरा ये विश्वास करो,
न्यायोचित से प्यार करो,
कहो सितारे जय-जयकार
जयचंदों को हो धिक्कार ।
🙏🏻
धीतेन्द्र कुमार शर्मा
(दिनांक 28.11.2015 को शब्दबद्ध
मीडिया की हो रही चौतरफा कटु आलोचनाओं के बीच एक मौलिक स्वर)
नैतिकता का शीर्ष तिलक ईमान हलक में है यारों,
चंद जयचंदों की गद्दारी से भारत मां ना बंधक होगी,
चंद गंदगी के नालों से मां गंगा मैली ना होगी।
लगाके डुबकी देखो,
तुमको बहुत नगीने मिल जाएंगे,
घर फूंक मुस्कान बिखरे
ऐसे दीवाने मिल जाएंगे,
ये दीवाने इसी धरा पर ज़मींदोज़ या जिंदा हैं,
फ़ख्र हमें है उन पर,
कतई नहीं शर्मिन्दा हैं,
इन्हीं सितारों के कंधों पर लोकतंत्र ये जिंदा है,
जयचंदाें की गद्दारी पर तो हम भी यूं शर्मिन्दा हैं,
कुछ मेरा ये विश्वास करो,
न्यायोचित से प्यार करो,
कहो सितारे जय-जयकार
जयचंदों को हो धिक्कार ।
🙏🏻
धीतेन्द्र कुमार शर्मा
(दिनांक 28.11.2015 को शब्दबद्ध
मीडिया की हो रही चौतरफा कटु आलोचनाओं के बीच एक मौलिक स्वर)

To Listen Poem: Click Here
https://www.youtube.com/watch?v=2uadabKHXCo&t=84s
Tuesday, February 17, 2015
Wednesday, February 11, 2015
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