रोचक लेकिन सबक परक
प्रसंग सवा माह पुराना (13 Nov 2019) लेकिन रोचक है। सबक परक भी। चार दिन पहले (21 Nov 2019) को एक विवाह समारोह में उपस्थिति के लिए रामगंजमंडी के पास स्थित खैराबाद कस्बे में जाते -आते वक्त एक बार फिर उसी स्थान से निकलना हुआ तो याद ताजा हो गयी।
पारिवारिक आयोजन में पैतृक गांव चेचट के पास निमोदा माताजी जाना हुआ। मैं परिजनों के साथ अपनी साबुनदानी (5 सीटर छोटी कार, बस वाले प्राय: इन्हें इसी नाम से बुलाते है) में था। नेशनल हाई वे 52 फोरलेन पर केबलनगर के आस पास एक श्वान मुक्त भाव में नाच रहा था। मैं अपनी तरुन्नम में 100 की रफ्तार में चल रहा था। श्वान के सड़क पर गोल-गोल यूँ नाचने पर नजऱ पड़ी तो ब्रेक लगा बहुत ही धीमे उस स्थान से गाड़ी निकाल ली। आगे की सीट पर बैठे मामाजी के बच्चे 11 वर्षीय सिद्धि और लड्डू के बाल मन में जिज्ञासा हुई तो उन्होंने धीमे होने की वजह और श्वान की हरकत के बारे मे मुझसे पूछा।
मैने उन्हें पहले श्वान के बारे में बताया कि वह नही नाच रहा है, उसके सिर पर मौत नाच रही है। रही बात बेहद धीमे होने की तो कारण यह कि उसे तो मरना है, मृत्यु तय, अपन छूने तक का भी क्यों निमित्त बने।
#अधीर_कोई_आएगा, #खेल_खत्म_हो_जाएगा।
अभी भी सिद्धि आगे बैठी थी। मैं कुछ नहीं बोला, लेकिन सुबह बताई बात उसे स्ट्राइक कर गयी। वो तपाक से बोली , भैया ये शायद वही कुत्ता है। जगह ठीक वही थी, श्वान का रंग और आयु भी समान सी, तो हमने भी 'शायद' लगाते हुए हामी भर दी। और, आगे बढ़ गए। मन में ईश्वर की लीला के खयाल चलते रहे।
और #बुजुर्गों_के_बताए_सबक , #जिंदगी_जीने_की_कला #राह_चुनने_की_पहचान का स्मरण रहा।
#फंडा : यह कि आप जीवन में धैर्य रखें, जिसके सिर पर मौत नाच रही उसकी #कुत्ते_की_मौत तय है, आप सिर्फ धैर्य के साथ शालीनता से निकल लें।
-धीतेन्द्र कुमार शर्मा
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