Monday, February 24, 2020

#Journalism: डीजे संगीत और मीडिया की आजादी



-धीतेन्द्र कुमार शर्मा -
गुजरी शनिवार रात राजस्थान के एक प्रतिष्ठित मीडिया समूह के स्वामित्व वाले जयपुर स्थित परिसर में #राजस्थानपुलिस ने 10 बजे बाद डीजे संगीत बजने की बात पर कार्रवाई कर दी। सिविल लाइंस स्थित इस परिसर में बकौल मीडिया समूह(जैसा उन्होंने बहादुरी से खुद के समाचार पत्र में प्रकाशित भी किया) बैंक मालिक के अतिथि व परिजन जन्मदिन पार्टी मना रहे थे। पुलिस  पर कमरों तक अवांछित दखल और अभद्रता का आरोप है, साथ ही #मीडिया_की_आजादी पर हमला भी बताया गया। खबर के समर्थन में लिखे गए तर्कों में यह भी शुमार किया गया कि क्षेत्र में अन्य मैरिज गार्डन भी हैं जिनमें देर रात तक डीजे बजता है लेकिन कार्रवाई नहीं होती। आरोप लगाया गया कि मीडिया समूह की खबरों पर प्रतिक्रिया स्वरूप राज्य सरकार की शह पर यह कार्रवाई की गई।
 इस प्रतिष्ठित मीडिया समूह के कानून और सिद्धांत से जुड़े तीन किस्से मुझसे भी प्रत्यक्ष जड़े हैं। वर्ष 2007-08 की बात रही होगी। मैं इसके भरतपुर ब्यूरो प्रमुख का दायित्व निभा रहा था। इसी दौरान वहां ट्रेड फेयर लगा। मेला चल रहा था कि दो-तीन दिन बाद बिजली विजिलेंस से जुड़े अधिकारी पहुंच गए। वहां ठेकेदार बिजली चोरी करते पाया गया। तत्समय समूह की प्रतिष्ठा धवल और छवि अकाट्य थी। विद्युत जेईएन का मेरे पास तुरंत फोन आया। मैंने उच्च स्तर पर अवगत कराया। वहां से बिना समय गंवाए निर्देश मिले कि चालान कटवाया जाए, साथ ही ठेकेदार को भी हिदायत मिली कि हमारे साथ एसोएिशन में कानून की पालना तो करनी ही होगी।

दूसरा उदाहरण राजस्थान के ही पाली शहर का है। तत्समय पत्रकारिता के प्रतिमानों और सिद्धांतों के कठोर संरक्षण के चलते मुझे भरतपुर से 2010 में पाली स्थानीय संपादक बना दिया गया। वहां फिर ट्रेड फेयर लगा। एक दिन अचानक सिविल पोषाक में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मेले में पहुंच गए। झूले वाले से लाइसेंस/अनुमति की पड़ताल भी कर ली। लाइसेंस अनुमति न होने की बात सामने आने पर उन्होंने इसे बंद करा दिया। साथ ही मुझे संदेश भिजवाया और विनम्रता से अगले दिन प्रक्रिया पूरी कर झूला चलवाने को कहा। मैंने जयपुर उच्चधिकरियों को अवगत कराया। उन्होंने स्पष्टत: कानून का पालन करने की हिदायत मेला ठेकेदार को दिलवा दी। लाइसेंस प्रक्रिया में प्रशासन का सहयोग भी मिला।

और तीसरा रोचक किस्सा ट्रेनी काल का वर्ष 1999 का है। हमारा एक बैच मैट अजमेरी गेट पर रोड रैलिंग अवैध तरीके से पार करता हमारे तत्कालीन संपादकीय अधिकारी ने देख लिया। उन्होंने समूह की प्रतिष्ठा पर ही उस दिन की पूरी क्लास ली। साथ ही उस प्रशिक्षु को निकालने की तल्ख चेतावनी भी दे दी। संदेश स्ष्ट था कि कानून के उल्लंघन की अंगुली हमारी ओर नहीं उठनी चाहिए। यह साख का सवाल है, यही हमारी पूंजी है।

बस गुजरे वर्षों में मीडिया जगत की गंगा से इतना ही पानी उतरा है। तब कानून सर्वोच्च था, अब अन्य किसी के उल्लंघन की आड़ स्वयं के भी उल्लंघन के लिए तर्क का आधार मानी जा रही। यही नहीं, तब कोई समाचार नहीं छपा, सब कुछ कुशलमंगल रहा। प्रशासन में प्रतिष्ठा और बढ़ी।

कानून से ऊपर  आजादी क्यों? 

बात मीडिया की आजादी की है। तो कानून से ऊपर किसे आजादी मिलनी चाहिए और क्यों? मीडिया तो समाज का पथ प्रदर्शक है, स्वयं आचरण पेश कर अन्य पर कार्रवाई के लिए प्रशासन को मजबूर करे। रात 10 बजे बाद डीजे बंद होना है तो बंद होना ही चाहिए। मेरे प्रभावी सेवाकाल के दौरान परिवार के तीन विवाह समारोहों में हमने 10 बजे बाद डीजे बंद करा दिया।

एक और बात, मीडिया समूह के व्यापारिक दृष्टिकोण में डीजे संगीत की आवश्यकता कहां है, इस पर एडिटर्स गिल्ड, पत्रकारिता से जुड़े संगठनों, प्रेस काउंसिल और सरकार को भी  मंथन करना चाहिए। कुछ वर्ष पहले एक इलेक्ट्रोनिक चैनल पर भी वित्तीय अनियमितता पर कार्रवाई को मीडिया पर हमला बताया गया। हालांकि, जनता ने उसे किस पायदान पर खड़ा कर दिया, और आज सबसे तेज कौन है, यह सबके सामने है। कुछ माह पहले एक और चैनल के मालिक पर कार्रवाई हुई, वहां भी वित्तीय अनियमितता का मसला था।

 चौतरफा शुचिता की जरूरत 

असल में, अब वक्त है उस आंदोलन को गति देने की जिसका आगाज अन्ना हजारे ने आजादी की दूसरी लड़ाई के संबोधन के साथ यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में किया था। जिसकी उपज अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी है। अब चौतरफा शुचिता की जरूरत है। किसी को भी दग्ध धवल मानने की आवश्यकता नहीं। स्वच्छता की अग्नि परीक्षा में उत्तीर्ण होना सबके लिए अनिवार्य हो। भले ही मीडिया ही क्यों न हो। संविधान और कानून हम सबने स्वीकार किया है, #'हम_भारत_के_लोग' में मीडिया भी शामिल है। कुछ आचार संहिता तो अवश्य बने। मीडिया से इतर अन्य व्यापार-व्यवसाय में मीडिया का इस्तेमाल करने की लक्ष्मण रेखा भी तय हो ही।

 हां, पुलिस के द्वारा अभद्रता करने वाले आरोपों की जांच जरूर निष्पक्ष होनी ही चाहिए, पुलिस को यदि कोई डीजे के अतिरिक्त भी अन्य इनपुट था जिसके आधार पर तलाशी ली गई तो इसका खुलासा जनता के बीच सार्वजनिक करना चाहिए अन्यथा बेजा दखलंदाजी पर महकमा बिना शर्त माफी मांगे। फिर वही बात दोहरानी होगी, कानून सबके लिए समान है, पुलिस के लिए भी और मीडिया के लिए भी।
जय हिन्द।

#DhitendraSharma
dhitendra.sharma@gmail.com
Youtube channel- sujlam suflam

1 comment:

Unknown said...

अब वो बात कहां।

खुल्ला बोल: ब्राह्मण की पहचान फरसा या वेद!

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