धीतेन्द्र कुमार शर्मा
साहूकारी की ख्यात छवि वाले पाली का भोला आमजन किस 'दबंग शिकंजेÓ में जकड़ता जा रहा है, इसी की बानगी है मंडली खुर्द में गैर मुमकिन रास्ते के बेचान का मामला। अफसोस कि, जवाबदेह लोग मौन हैं। वजह, या तो वे शिकंजे का हिस्सा हैं या ऊपरी दबाव!
पाली शहर से सटे मंडली खुर्द ग्राम प्रकरण का खुलासा आम शहरवासी के लिए चौंकाने वाला नहीं। अतिक्रमण एवं औने-पौने दामों पर बेचान के मामले वक्त-दर-वक्त सामने आ रहे। मंडली खुर्द में १२ बीघा से ज्यादा बड़े गैर मुमकिन रास्ते का उचंती में पट्टा जारी हुआ। दु:खद कि, पट्टा ग्राम पंचायत ने जारी किया। कानून ताक पर रखकर। राजस्व रिकॉर्ड में अब तक वह आम रास्ता है। यही नहीं, फर्जी बेचान के बाद आधा दर्जन से ज्यादा प्लॉट गैर कानूनी खरीदार ने काटे। कई प्लॉट कइयों को बेचे। फर्जी पट्टे बनाए। पुलिस तक असमंजस में है।
इतने लोग जुड़े हैं कि कार्रवाई पर शांति-व्यवस्था को खतरा आसन्न माना जा रहा!
प्रश्र यह कि क्यों ऐसे हालात बन रहे। माफिया इतने बेखौफ क्यों?
जाहिर है, साठगांठ व्यापक है। गठजोड़ दबंग! सत्ता तक पहुंच वालों का साया भी साथ! ऐसे हालात न तो विकास के लिए शुभ हैं, न ही कानून-व्यवस्था के लिए। इस गठजोड़ को तोडऩा एवं कानून सम्मत कार्रवाई ही वक्त का तकाजा है। जिला प्रशासन ने मंडली खुर्द प्रकरण की रिपोर्ट मांगी है। जानकारी दी कि पहले जयपुर की सेटलमेंट टीम सर्वे करके भी गई है। सवाल सर्वे और जांच दर जांच का नहीं, कार्रवाई का है। मामला लटका पड़ा है। आरोपी तक तय नहीं हो पा रहे। प्रशासन को कार्रवाई पर गंभीर व निर्भीक भी रहना होगा। पुलिस मजबूती से ठोस फाइल तैयार करे और प्रशासन ईमानदारी से हमकदम हो तो गठजोड़ की रीढ़ तोड़ी जा सकती है। आमजन को लूटने और सरकारी सम्पत्ति हथियाने वालों का हश्र काबिले मिसाल होना चाहिए। आखिर, सवाल उस आमजन का है जो जिन्दगीभर की कमाई देकर एक अदद आशियाने के सपने में इस शिकंजे की गिरफ्त में आता है, बर्बाद हो जाता है।
पाली शहर से सटे मंडली खुर्द ग्राम प्रकरण का खुलासा आम शहरवासी के लिए चौंकाने वाला नहीं। अतिक्रमण एवं औने-पौने दामों पर बेचान के मामले वक्त-दर-वक्त सामने आ रहे। मंडली खुर्द में १२ बीघा से ज्यादा बड़े गैर मुमकिन रास्ते का उचंती में पट्टा जारी हुआ। दु:खद कि, पट्टा ग्राम पंचायत ने जारी किया। कानून ताक पर रखकर। राजस्व रिकॉर्ड में अब तक वह आम रास्ता है। यही नहीं, फर्जी बेचान के बाद आधा दर्जन से ज्यादा प्लॉट गैर कानूनी खरीदार ने काटे। कई प्लॉट कइयों को बेचे। फर्जी पट्टे बनाए। पुलिस तक असमंजस में है।
इतने लोग जुड़े हैं कि कार्रवाई पर शांति-व्यवस्था को खतरा आसन्न माना जा रहा!
प्रश्र यह कि क्यों ऐसे हालात बन रहे। माफिया इतने बेखौफ क्यों?
जाहिर है, साठगांठ व्यापक है। गठजोड़ दबंग! सत्ता तक पहुंच वालों का साया भी साथ! ऐसे हालात न तो विकास के लिए शुभ हैं, न ही कानून-व्यवस्था के लिए। इस गठजोड़ को तोडऩा एवं कानून सम्मत कार्रवाई ही वक्त का तकाजा है। जिला प्रशासन ने मंडली खुर्द प्रकरण की रिपोर्ट मांगी है। जानकारी दी कि पहले जयपुर की सेटलमेंट टीम सर्वे करके भी गई है। सवाल सर्वे और जांच दर जांच का नहीं, कार्रवाई का है। मामला लटका पड़ा है। आरोपी तक तय नहीं हो पा रहे। प्रशासन को कार्रवाई पर गंभीर व निर्भीक भी रहना होगा। पुलिस मजबूती से ठोस फाइल तैयार करे और प्रशासन ईमानदारी से हमकदम हो तो गठजोड़ की रीढ़ तोड़ी जा सकती है। आमजन को लूटने और सरकारी सम्पत्ति हथियाने वालों का हश्र काबिले मिसाल होना चाहिए। आखिर, सवाल उस आमजन का है जो जिन्दगीभर की कमाई देकर एक अदद आशियाने के सपने में इस शिकंजे की गिरफ्त में आता है, बर्बाद हो जाता है।
dhitendra.sharma@epatrika.com
राजस्थान पत्रिका के पाली संस्करण में २२ सितम्बर के अंक में प्रकाशित
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1 comment:
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